
– लोकनिर्माण टाइम्स विशेष रिपोर्ट
इलाहाबाद। जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। शनिवार को अदालत ने उनके खिलाफ चल रहे एक आपराधिक मामले में उन्हें जमानत दे दी है। हालांकि, अदालत ने केवल जमानत दी है, सजा पर कोई रोक नहीं लगाई गई है, जिससे उनकी चुनावी संभावनाओं पर फिलहाल विराम लग गया है।
शनिवार दोपहर लगभग 12 बजे न्यायालय ने धनंजय सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया। अदालत ने माना कि मामले में उन्हें फिलहाल राहत दी जा सकती है, लेकिन यह राहत केवल न्यायिक प्रक्रिया के दौरान जेल से बाहर रहने तक सीमित है। उनकी दोषसिद्धि के चलते उन पर चुनाव लड़ने की संवैधानिक अयोग्यता बनी रहेगी।
धनंजय सिंह पर कई आपराधिक मामले दर्ज रहे हैं और हाल ही में एक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद उन्हें जेल भेजा गया था। इसके बाद उनके वकीलों ने उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दाखिल की थी।
चुनाव नहीं लड़ सकेंगे धनंजय सिंह
भारतीय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किसी भी व्यक्ति को यदि अदालत द्वारा दो साल या उससे अधिक की सजा दी जाती है, तो वह सजा की तारीख से लेकर अगले छह वर्षों तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माना जाता है। चूंकि अदालत ने सजा पर कोई स्थगन (stay) नहीं दिया है, इसलिए धनंजय सिंह आगामी लोकसभा या विधानसभा चुनावों में भाग नहीं ले सकेंगे।
राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज
धनंजय सिंह की गिनती पूर्वांचल के प्रभावशाली नेताओं में होती है। उनकी जमानत की खबर के बाद से जौनपुर और आसपास के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। समर्थकों में खुशी तो है, लेकिन साथ ही चुनावी राजनीति में उनके भविष्य को लेकर चिंता भी बनी हुई है।
लोकनिर्माण टाइम्स आपको इस मामले से जुड़ी हर नई जानकारी सबसे पहले और सटीक रूप में उपलब्ध कराता रहेगा।
पूर्व सांसद धनंजय सिंह को मिली जमानत, लेकिन चुनाव लड़ने पर रोक बरकरार
– लोकनिर्माण टाइम्स विशेष रिपोर्ट
इलाहाबाद। जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। शनिवार को अदालत ने उनके खिलाफ चल रहे एक आपराधिक मामले में उन्हें जमानत दे दी है। हालांकि, अदालत ने केवल जमानत दी है, सजा पर कोई रोक नहीं लगाई गई है, जिससे उनकी चुनावी संभावनाओं पर फिलहाल विराम लग गया है।
शनिवार दोपहर लगभग 12 बजे न्यायालय ने धनंजय सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया। अदालत ने माना कि मामले में उन्हें फिलहाल राहत दी जा सकती है, लेकिन यह राहत केवल न्यायिक प्रक्रिया के दौरान जेल से बाहर रहने तक सीमित है। उनकी दोषसिद्धि के चलते उन पर चुनाव लड़ने की संवैधानिक अयोग्यता बनी रहेगी।
धनंजय सिंह पर कई आपराधिक मामले दर्ज रहे हैं और हाल ही में एक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद उन्हें जेल भेजा गया था। इसके बाद उनके वकीलों ने उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दाखिल की थी।
चुनाव नहीं लड़ सकेंगे धनंजय सिंह
भारतीय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किसी भी व्यक्ति को यदि अदालत द्वारा दो साल या उससे अधिक की सजा दी जाती है, तो वह सजा की तारीख से लेकर अगले छह वर्षों तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माना जाता है। चूंकि अदालत ने सजा पर कोई स्थगन (stay) नहीं दिया है, इसलिए धनंजय सिंह आगामी लोकसभा या विधानसभा चुनावों में भाग नहीं ले सकेंगे।
राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज
धनंजय सिंह की गिनती पूर्वांचल के प्रभावशाली नेताओं में होती है। उनकी जमानत की खबर के बाद से जौनपुर और आसपास के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। समर्थकों में खुशी तो है, लेकिन साथ ही चुनावी राजनीति में उनके भविष्य को लेकर चिंता भी बनी हुई है।
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