Delhi: दिल्ली में मुख्यमंत्री आवास के मुद्दे पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. सीएम आवास को सील कर दिया गया है, और इसके गेट पर विभाग ने डबल लॉक लगा दिया है.
Delhi: दिल्ली में मुख्यमंत्री आवास के मुद्दे पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. सीएम आवास को सील कर दिया गया है, और इसके गेट पर विभाग ने डबल लॉक लगा दिया है. जब मुख्यमंत्री केजरीवाल दूसरे बंगले में स्थानांतरित हुए, तब सीएम आतिशी ने इस आवास में शिफ्ट किया. आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि उपराज्यपाल के निर्देश पर पीडब्लूडी ने मुख्यमंत्री आतिशी का सामान बाहर निकालकर आवास को सील कर दिया है. वहीं, बीजेपी ने सीएम पर गैरकानूनी तरीके से बंगले में रहने का आरोप लगाया है.
असल में, विवाद सीएम केजरीवाल द्वारा आवास को खाली करने और हैंडओवर से संबंधित है, जिसके चलते पीडब्लूडी ने कार्रवाई की. आरोप है कि इस बंगले को विधिवत तरीके से पीडब्ल्यूडी को हैंडओवर नहीं किया गया था, और इससे पहले ही मुख्यमंत्री आतिशी का सामान वहां पहुंचा दिया गया था.
पूरा विवाद क्या है?
आरोप लगाया जा रहा है कि केजरीवाल द्वारा बंगला खाली करने के बाद इसे आतिशी को आवंटित नहीं किया गया था, जबकि इसका अधिकार पीडब्ल्यूडी के पास है. जब कोई घर खाली होता है, तो पीडब्ल्यूडी उसका कब्जा लेता है और उसकी सूची बनाता है, इसके बाद ही वह घर किसी और को आवंटित कर सकता है. इस मामले में सवाल उठता है कि क्या एक मुख्यमंत्री कुर्सी से हटने के बाद अपने मनमाफिक तरीके से अपना आधिकारिक आवास दूसरे मुख्यमंत्री को सौंप सकता है? क्योंकि मुख्यमंत्री का आवास किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं, बल्कि सरकारी संपत्ति होती है.
जानिए विवाद की पूरी कहानी
कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री आवास का एक वीडियो सामने आया, जिसमें सुनीता केजरीवाल एक अधिकारी को बंगले की चाबी सौंपती हुई नजर आईं. इस वीडियो के आधार पर दावा किया गया कि अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री आवास खाली कर दिया है. लेकिन 6 अक्टूबर को, पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के विशेष सचिव को एक पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि चाबी सौंपने के कुछ समय बाद ही इसे वापस ले लिया गया और बंगला पूरी तरह से पीडब्ल्यूडी को हैंडओवर नहीं किया गया.