Thursday , June 8 2023
Home / Uncategorized / रिलायंस की महंगी बिजली से सात प्रदेशों को मिली निजात

रिलायंस की महंगी बिजली से सात प्रदेशों को मिली निजात

power

लखनऊ 9 Dec | अपीलेट ट्रिब्यूनल ऑफ इलेक्ट्रिसिटी (आपटेल) द्वारा रिलायंस को सासन परियोजना में 1050 करोड़ रुपये का बेजा मुनाफा दिए जाने के विरोध में ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन द्वारा दायर याचिका के पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला देते हुए रिलायंस की दलीलों को खारिज कर दिया है। सासन परियोजना की कॉमर्शियल संचालन की तारीख पर फैसले के बाद परियोजना से बिजली खरीदने वाले सात प्रदेशों को राहत मिलेगी।

इससे उत्तर प्रदेश को जहां 131 करोड़ रुपये का तात्कालिक लाभ मिलेगा, वहीं मध्य प्रदेश को 394 करोड़, पंजाब को 158 करोड़, दिल्ली और हरयाणा दोनों को 118-118 करोड़, राजस्थान को 105 करोड़ और उत्तराखंड को 26 करोड़ रुपये का लाभ मिलेगा। रिलायंस को मिलने वाले बेजा मुनाफे की भरपाई के लिए यह राज्य अब टैरिफ बढाकर 1050 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आम उपभोक्ताओं पर नहीं डाल सकेंगे। फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति रोङ्क्षहटन एफ नारीमन की बेंच ने आठ दिसंबर को दिए फैसले में कहा कि जब आम जनता पर बोझ पड़ रहा हो तो जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का दखल देना जरूरी हो जाता है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में आपटेल के निर्णय को खारिज कर दिया, जिसमें रिलायंस को सासन परियोजना की पहली इकाई के वाणिज्यिक संचालन की तारीख 31 मार्च 2013 कर दी गई थी। इससे रिलायंस को 1050 करोड़ रुपये का बेजा मुनाफा हो गया था, जिसे संबंधित राज्य टैरिफ बढ़ाकर आम जनता से वसूलने की तैयारी में थे।

सासन परियोजना की 660 मेगावाट की पहली इकाई 31 मार्च, 2013 को 106 मेगावाट क्षमता तक ही चल पाई, जो रेटेड कैपेसिटी का 16.34 फीसद था, जबकि नियम के मुताबिक इसे 95 प्रतिशत क्षमता पर चलाने पर ही कॉमर्शियल संचालन की तारीख मानी जाती है। रिलायंस ने हालांकि 31 मार्च, 2013 को ही कॉमर्शियल संचालन की तारीख मानने को कहा, जिसे केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने रद कर दिया। आयोग के फैसले के खिलाफ रिलायंस ने आपटेल में अपील की। 31 मार्च, 2016 को आपटेल ने रिलायंस के पक्ष में निर्णय दिया। फेडरेशन ने आपटेल के एकतरफा फैसले को पक्षपातपूर्ण बताते हुए पांच मई को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। फेडरेशन के पत्र पर सातों राज्यों की सरकारों ने भी सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर कर दी थी|

फेडरेशन के अध्यक्ष ने बताया कि सासन परियोजना से उत्तर प्रदेश को 12.5 फीसद, मध्य प्रदेश को 37.5, पंजाब को 15, हरियाणा व दिल्ली को 11.25, राजस्थान को 10 और उत्तराखंड को 2.5 फीसद बिजली मिलने का करार है। इसी अनुपात में सभी राज्यों को महंगी बिजली का खामियाजा भुगतना पड़ रहा था।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *