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फ्लैश बैक – 2016 : कई कद्दावर नेताओं ने छोड़ा बहुजन समाज पार्टी का साथ

3-bhd-9बहुजन समाज पार्टी ने गुजरते साल में जहां अपने कई कद्दावर नेताओं को पार्टी को मंझदार में छोड़ते देखा वहीं नोटबंदी ने पार्टी को एक ऐसा मुद्दा दे दिया जिससे वह भारतीय जनता पार्टी पर सीधे निशाना साध सकी। पार्टी का दामन छोडऩे वाले नेताओं को भी बसपा ने लगातार अपने निशाने पर रखा। बहुजन समाज पार्टी इस वर्ष भाजपा के निकाले गए नेता दयाशंकर सिंह की पत्नी और बेटी पर नसीमुद्दीन सिद्दीकी की विवादास्पद टिप्पणी के लिए भी काफी चर्चित रही।

पार्टी को विश्वास है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में जीत उसके ही हाथ लगेगी। पार्टी की मुखिया मायावती को यह भी विश्वास है कि इस बार अल्पसंख्यक विशेषकर मुसलमान उनके साथ होंगे।

बहुजन समाज पार्टी से इस वर्ष कई कद्दावर नेताओं ने किनारा कर लिया। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ ब्रजेश पाठक व पूर्व मंत्री आरके चौधरी वह प्रमुख नाम हैं। मौर्या तथा पाठक भाजपा में शामिल हो गए हैं। अक्सर धन लेकर टिकट देने के आरोपों का सामना करने वाली मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी देश में एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसके पास गलत तरीके से अर्जित धन नहीं है। उन्होंने माना कि टिकट चाहने वाले आर्थिक योगदान करते हैं और इस राशि का उपयोग पार्टी संगठन को मजबूत करने एवं चुनाव लडऩे में किया जाता है।

नोटबंदी पर मायावती के तेवर काफी कड़े हैं। उन्होंने मोदी सरकार पर देश में अघोषित ‘आर्थिक इमरजेंसीÓ लगाने का आरोप मढ़ा। मायावती ने कहा कि इतना बडा फैसला लेने से पहले गरीबों के बारे में नहीं सोचा गया। पूंजीपतियों को बड़े पैमाने पर लाभ पहुंचाया गया। बसपा का बीएसपी का मानना है कि नोटबंदी का यह फैसला बीजेपी के लिये विनाशकारी साबित होगा और लोग बीएसपी पर आस टिकायेंगे।

साल भर मायावती के निशाने पर एक ओर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार रही तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश की एसपी सरकार पर भी उन्होंने जमकर हमला बोला। कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर मायावती ने एसपी सरकार और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नाकाम होने का दावा करते हुए कहा कि एसपी सरकार की नीतियां ढुलमुल हैं और उसकी भाजपा से मिलीभगत है। सपा की सरकार बनने के बाद से ही कानून का राज समाप्त हो गया। मुसलमानों को अगले विधानसभा चुनाव में बीएसपी की ओर आकषिर्त करने की कवायद में मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश के सर्वसमाज विशेषकर मुसलमानों को यह समझना बहुत जरूरी है कि सपा में उनके हित सुरक्षित नहीं हैं। अब दो खेमों (अखिलेश-शिवपाल) में बंटी एसपी को वोट देने का मतलब बीजेपी को जिताना है।

मायावती एक ओर मुसलमानों से खुलकर वोट मांग रही हैं तो उन्हीं की पार्टी के नेता महासचिव सतीश मिश्र भाईचारा सम्मेलनों के जरिए समाज के अन्य तबकों खासकर ब्राहमणों को जोडऩे की कवायद में लगे हुए हैं। ‘नोटों की माला’ वाली प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी पर भी मायावती ने पलटवार करते हुए कहा कि दलित की बेटी माला पहने, यह बात प्रधानमंत्री को हजम नहीं होती। मोदी खुद अपने गिरेबान में झांककर देखें कि वह दूध के कितने धुले हैं। मूर्तियों और पार्कों के निर्माण के लिए विरोधियों के निशाने पर रहने वाली मायावती ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस बार बीएसपी की सरकार बनी तो उनका पूरा ध्यान कानून व्यवस्था दुरूस्त करने और विकास की ओर होगा।

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