
बनिया समाज की चुप्पी पर सवाल, प्रशासन मौन
प्रयागराज | 17 अप्रैल 2025
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जनपद अंतर्गत जंघई बाजार निवासी संजय जयसवाल के बड़े भाई अंजय जयसवाल और उनके दो पुत्रों – प्रवेश जयसवाल व लकी जयसवाल – पर दबंग ब्राह्मणों के एक समूह ने सुनियोजित तरीके से हमला कर दिया।
यह हमला 17 अप्रैल की शाम लगभग 6 बजे अंजय जयसवाल की दुकान पर चढ़कर लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से किया गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावरों की संख्या 10-12 के बीच थी, और हमला इतना बर्बर था कि बाप-बेटे खून से लथपथ होकर मौके पर मदद की गुहार लगाते रहे।
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तमाशबीन बनी रही भीड़, कोई मदद को आगे नहीं आया
घटना के समय बाजार में मौजूद व्यापारियों और राहगीरों की भीड़ केवल मोबाइल से वीडियो बनाती रही, लेकिन किसी ने भी आगे बढ़कर हमला रोकने या घायल परिवार को बचाने का प्रयास नहीं किया।
“उत्तर प्रदेश का बनिया समाज आखिर कब जागेगा?” – यह सवाल अब समाज के भीतर गूंज रहा है।
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घायल की हालत नाजुक, सरकार खामोश
हमले में बुरी तरह घायल अंजय जयसवाल को तत्काल स्वरूप रानी हॉस्पिटल प्रयागराज में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
अब तक प्रशासन या स्थानीय बीजेपी नेताओं में से कोई भी पीड़ित परिवार से मिलने नहीं पहुंचा है, जिससे जनता में आक्रोश है।
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योगी राज में ‘जंगलराज’?
उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल उठने लगे हैं कि क्या योगी आदित्यनाथ का शासन भी अब मुलायम राज की तरह बनता जा रहा है, जहाँ दबंग बेलगाम हैं और कमजोर वर्ग निशाने पर।
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वैश्य समाज पर निरंतर हो रहे हमले – क्या संगठन केवल नाम के रह गए हैं?
इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि अग्रहरि, अग्रवाल, बर्नवाल, केशरवानी, जयसवाल, मधेशिया, मोदनवाल, अयोध्यावासी, गुलहरे, रौनियार, साहू, चौरसिया, कसौधन, सोनी-स्वर्णकार आदि उपजातियाँ – जो वैश्य समाज का निर्माण करती हैं – आज भी राजनैतिक और सामाजिक संरक्षण से वंचित हैं।
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लोक निर्माण टाईम्स की विशेष टिप्पणी:
> “जब तक वैश्य समाज अपने सम्मान और सुरक्षा को लेकर सामूहिक आवाज नहीं उठाएगा, तब तक सत्ता और प्रशासन उन्हें केवल व्यापार करने का माध्यम समझते रहेंगे। अब वक्त है एकजुटता और संघर्ष का।”