
धारा 80 में भूखण्ड होने के बावजूद सरकारी नंबर बताकर कब्जा हटाने का प्रयास, पास में अवैध कब्जे और स्कूल पर नहीं हुई कोई कार्रवाई
लखनऊ, 20 अप्रैल |
ग्राम सेवई (सरोजनी नगर) में राजस्व विभाग और नगर निगम के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से एकतरफा कार्यवाही की कोशिश का मामला सामने आया है।
राजघराना स्मार्ट सिटी के भूधारी अशोक कुमार गुप्ता की धारा 80 में तब्दील 10.5 बीघा भूमि को लेकर लेखपाल द्वारा बार-बार सरकारी नंबर 763 और 761 की आड़ में प्लॉटिंग रुकवाने का प्रयास किया गया।
परंतु जब दिनांक 19/04/2025 को नगर निगम का दस्ता लेखपाल के साथ मौके पर कार्रवाई के लिए पहुंचा, तब अशोक कुमार गुप्ता ने तहसील दिवस पर दिए गए पैमाइश के आदेशों की प्रति प्रस्तुत की। आदेश के अनुसार, यह भूमि विवादग्रस्त होने के कारण संयुक्त राजस्व टीम की पैमाइश तक कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती। आदेश देखने के बाद नगर निगम की टीम को वापस लौटना पड़ा।
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पैसे के लालच में निशाना, असली अवैध कब्जे पर चुप्पी
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पास के ही गाटा संख्या 785, 788 और 789, जो लगभग 7 बीघा भूमि में फैले हैं, वहां अवैध स्कूल निर्माण और कब्जा स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है, लेकिन वहां कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कॉलोनी में जहां प्लॉट बिक चुके हैं और निर्माण चल रहा है, वहीं लेखपाल पैसे के लालच में भूधारी को टारगेट कर रहा है, जबकि असली अवैध निर्माण को नज़रअंदाज कर रहा है।
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क्या कहता है आदेश?
तहसील दिवस पर अशोक कुमार गुप्ता द्वारा दिया गया आवेदन राजस्व अधिकारियों द्वारा संज्ञान में लिया गया था, और आदेश दिया गया था कि:
> “ग्राम सेवई व सार्थवाह की सरहद पर स्थित उक्त भूमि की पैमाइश बिना दोनों गांव के लेखपाल और कानूनगो की संयुक्त टीम के नहीं की जाएगी। जब तक नाप नहीं हो जाती, कोई भी कब्जा हटाने या भूमि पर विवाद उत्पन्न करने की कार्यवाही वर्जित रहेगी।”
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जनता में आक्रोश, निष्पक्ष जांच की मांग
अब कॉलोनीवासियों और भूस्वामी द्वारा लेखपाल की भूमिका की उच्चस्तरीय जांच की मांग की जा रही है। स्थानीय लोग यह भी आरोप लगा रहे हैं कि राजस्वकर्मी जानबूझकर भू-माफियाओं को बचा रहे हैं और वैध भूधारियों को निशाना बना रहे हैं।
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लोक निर्माण टाईम्स की विशेष टिप्पणी:
> “जब एक भू-स्वामी वैध दस्तावेज, धारा 80 की मंज़ूरी और राजस्व आदेश लेकर खड़ा हो, तब भी उस पर सरकारी जमीन का झूठा आरोप लगाना — प्रशासनिक व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा करता है।”