
नगर आयुक्त ने लिया संज्ञान, फाइलें गायब, NOC मनमाने तरीके से जारी, अब चलेगी बड़ी कार्रवाई
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नगर निगम से जुड़े एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें नगर निगम की करीब 5.5 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन एक निजी बिल्डर को मुफ्त में दे दी गई। सबसे गंभीर बात यह रही कि जमीन हस्तांतरित होते ही उसकी फाइल भी नगर निगम कार्यालय से गायब कर दी गई, और साथ ही बिल्डर को बिना औपचारिक प्रक्रिया के NOC भी दे दी गई।
नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह ने की पुष्टि
नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह ने मीडिया को बताया कि यह सारा मामला अपर नगर आयुक्त ललित कुमार के कार्यकाल से जुड़ा है। संज्ञान लेते हुए उनसे सम्पत्ति विभाग की जिम्मेदारी हटा दी गई है, और अब पंकज श्रीवास्तव को यह विभाग सौंपा गया है।
नगर आयुक्त ने यह भी बताया कि,
“नगर निगम की जमीन देने की नीति के अनुसार, जितनी भूमि दी जाती है, उतनी ही कीमत की भूमि वापस ली जाती है। लेकिन इस प्रकरण में नियमों की खुलकर अनदेखी हुई।”
आईआईएम रोड पर कब्जा, फर्जीवाड़ा उजागर
मामले में आगे जांच करने पर पता चला कि आईआईएम रोड स्थित मुतक्कीपुर क्षेत्र में 10 हजार वर्ग फीट नगर निगम की जमीन और करीब 5 हजार स्क्वायर फीट सिंचाई विभाग की जमीन पर ‘सप्रिंग गार्डन सोसाइटी’ ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है।
सोसायटी द्वारा सिंचाई विभाग की नलकूप टंकी तक को तोड़कर निर्माण कर दिया गया, जिस पर मड़ियांव थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है।
हाउस टैक्स में भी गड़बड़ी, 150 करोड़ का बकाया
नगर आयुक्त ने यह भी बताया कि नगर निगम में वित्तीय वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड हाउस टैक्स वसूली हुई, फिर भी करीब 150 करोड़ रुपए का टैक्स अब भी बकाया है। इनमें 2.5 लाख से अधिक मकान मालिकों ने टैक्स नहीं भरा, जिनमें से करीब 50 हजार भवन या तो जर्जर हो चुके हैं या फिर अवैध रूप से तोड़कर नए निर्माण कर दिए गए हैं।
नगर निगम अब सभी ऐसे घरों को पुनः चिन्हित कर गृहकर निर्धारण (House Tax Assessment) की प्रक्रिया शुरू कर रहा है। यदि किसी ने नया निर्माण कर लिया है और पुराना टैक्स ही दे रहा है, तो अब उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा।
भविष्य में जांच और कार्रवाई की तैयारी
नगर निगम की ओर से संकेत दिए गए हैं कि इस प्रकरण में लिप्त अधिकारियों और बिल्डरों पर FIR दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, संपत्ति विभाग और टैक्स विभाग में व्यापक सुधार और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल ऑडिट की योजना बनाई जा रही है।
यह खबर लखनऊ में नगर प्रशासन की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।