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गठबंधन निभाने को सपा ने अमेठी में चार विधायकों के टिकट काटे

समाजवादी पार्टी (सपा) ने अमेठी-रायबरेली की दस में से सात विधानसभा सीटें कांग्रेस को सौंपकर गठबंधन की डोर मजबूत करने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाया। अखिलेश यादव को इसके लिए चार विधायकों के टिकट भी काटने पड़े हैैं। हालांकि वह मंत्री गायत्री प्रजापति व मनोज पांडेय की सीट अपने हिस्से में करने में सफल रही है। गौरीगंज सीट पर अभी राहुल गांधी की कांग्रेस का दावा बरकरार है।Congress-1-620x400

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रचार समिति के चेयरमैन व सांसद संजय सिंह ने अमेठी-रायबरेली की सभी दस सीटों पर दावा ठोंककर गठबंधन के बड़े घटक सपा पर दबाव बढ़ाया। मगर सपा ने मुलायम सिंह के करीबी गायत्री प्रजापति की अमेठी व मनोज पांडेय की ऊंचाहार पांच सीटें नहीं छोडऩे का संकेत किया। 2012 में सात सीटें समाजवादी पार्टी ने जीती, ऐसे में प्रत्याशियों से लेकर भ्रम की स्थिति थी। गुरुवार को गठबंधन में सात-तीन का फार्मूला तय हुआ। यानी सात पर कांग्रेस व तीन सीटों पर सपा अपने प्रत्याशी उतारेगी। इसके कुछ देर बाद कांग्रेस ने पांच सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए। रिश्तों की डोर को मजबूती देने के प्रयास में सपा को अपने चार विधायकों के टिकट काटने पड़ गए हैैं। सूत्रों का गौरीगंज सीट पर अभी मामला फंसा हुआ है। कांग्रेस इस सीट पर भी दावा कर रही है।

इन विधायकों के टिकट कटे
गठबंधन धर्म निभाने के लिए सपा ने बछरावां के विधायक राम लाल अकेला, हरचन्दपुर के विधायक सुरेन्द्र विक्रम सिंह, सरेनी के विधायक देवेन्द्र प्रताप सिंह और सलोन की विधायक आशा किशोर का टिकट काट दिया है। मगर चर्चा यह भी है कि आशा किशोर को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ाया जा सकता है। अभी फैसला नहीं हुआ है, इसी कारण कांग्रेस ने अभी इस सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारा है।
गायत्री, मनोज से समीकरण साधे
सपा ने मंत्री गायत्री प्रजापति के लिए अमेठी व मनोज पांडेय की ऊंचाहार सीट बचाकर सपा ने मुलायम सिंह की अहमियत कम न होने का संदेश दिया है। दरअसल सपा शारदा प्रताप शुक्ला व विजय मिश्रा के रूप में दो ब्राह्मण मंत्रियों का टिकट काट चुकी है। ऐसे में ब्राह्मणों को पाले में बनाये रखने के लिए मनोज पांडेय का टिकट बचाना जरूरी था। उधर मंत्री प्रजापति ने 17 अति पिछड़ी जाति के लोगों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाने का आंदोलन चलाया था। सपा इन जातियों को नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकती थी। गायत्री पर अवैध खनन का गंभीर इल्जाम है और जांच एजेंसियों के निशाने पर भी आये थे।

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